English 12 फरवरी 2016 आज आप को कुछ नया बताता हूँ - MANISHLIKES

Friday, February 12, 2016

12 फरवरी 2016 आज आप को कुछ नया बताता हूँ

क्या आप को मालूम की आक्सीजन की ख़ोज किसने के थी ?
  कैरोथर ने की। 

कोल्हू के बैल बनायेंगे बिजली

गुजरात के वडोदरा जिले के छोटाउदयपुर क्षेत्र के 24 जनजातीय गांवों में एक अनोखा प्रयोग चल रहा है, जिसके अंतर्गत बैलों की शक्ति से बिजली बन रही है। बिजली निर्माण की यह नई तकनीक श्री कांतिभाई श्रोफ के दिमाग की उपज है और इसे श्रोफ प्रतिष्ठान का वित्तीय समर्थन प्राप्त है। श्री कांतिभाई एक सफल उद्योगपति एवं वैज्ञानिक हैं। इस खोज से एक नया नवीकरणीय उर्जा स्रोत प्रकट हुआ है। इस विधि में बैल एक अक्ष के चारों ओर एक दंड को घुमाते हैं। यह दंड एक गियर-बक्स के जरिए जनित्र के साथ जुड़ा होता है। इस विधि से बनी बिजली की प्रति इकाई लागत लगभग चार रुपया है जबकि धूप-पैनलों से बनी बिजली की प्रति इकाई लागत हजार रुपया होता है और पवन चक्कियों से बनी बिजली का चालीस रुपया होता है। अभी गियर बक्से का खर्चा लगभग 40,000 रुपया आता है, पर इसे घटाकर लगभग 1,500 रुपया तक लाने की काफी गुंजाइश है, जो इस विधि के व्यापक पैमाने पर अपनाए जाने पर संभव होगा। बैलों से बिजली निर्माण की पहली परियोजना गुजरात के कलाली गांव में चल रही है। बैलों से निर्मित बिजली से यहां चारा काटने की एक मशीन, धान कूटने की एक मशीन और भूजल को ऊपर खींचने का एक पंप चल रहा है। कृषि में साधारणतः बैलों की जरूरत साल भर में केवल 90 दिनों के लिए ही होती है। बाकी दिनों उन्हें यों ही खिलाना पड़ता है। यदि इन दिनों उन्हें बिजली उत्पादन में लगाया जाए तो उनकी खाली शक्ति से बिजली बनाकर अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है।
 

No comments:

Post a Comment

ADVERTISEMENT